दिल्ली में आप हारी तो पंजाब में भी होगा तख्तापलट! दिल्ली में भाजपा 27 सालों बाद परचम लहराने को लगभग तैयार ; आप के स्टार प्रचारक भी चल रहे पीछे

जालंधर (हितेश सूरी) : दिल्ली विधानसभा चुनाव में वोटों की गिनती जारी है। रुझानों में भाजपा 46 सीट और आम आदमी पार्टी (AAP) 23 सीटों पर आगे चल रही है। कांग्रेस को 1 सीट पर बढ़त है। ऐसे में साफ़ देखा जा रहा है कि भाजपा बहुमत का आंकड़ा पार कर चुकी है। चुनाव आयोग ने 57 सीटों के रुझान जारी किए हैं, जिसके मुताबिक भाजपा को बहुमत मिल रहा है। हालाँकि अगर रुझानों की मानें तो भाजपा दिल्ली में अपनी सरकार बना सकती है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो अगर भाजपा अपनी सरकार बना लेती है तो पंजाब में तख्ता पलट हो सकता है तथा आम आदमी पार्टी अपना अस्तित्त्व भी खो सकती है। राजनीतिक विश्लेषकों ने आप पार्टी के दिल्ली हारने के बाद पंजाब की सियासत में बड़े राजनीतिक विस्फोट की आशंका जताई है। बहरहाल दोपहर 12 बजे तक ही यह साफ़ हो जायेगा दिल्ली में किसकी सरकार बनेगी। बता दे कि दिल्ली में 5 फरवरी को 70 सीटों पर 60.54% मतदान हुआ था तथा 14 एग्जिट पोल आए, जिसमे 12 में भाजपा और 2 में केजरीवाल की सरकार बनने का अनुमान जताया गया।
केजरीवाल – मान के रिश्तों में चल रही खटास
बहरहाल दिल्ली में यदि आप हारती है तो पंजाब में भी आप का तख्तापलट होनें की चर्चाएं भी शुरु हो चुकी है क्योंकि ‘भगवंत मान पंजाब में केजरीवाल की पहली पसंद कभी थे ही नहीं। दूसरी पसंद का राज्य में स्कोप नहीं था। इसलिए CM की कुर्सी भगवंत मान को सौंपने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।’ आम आदमी पार्टी के एक पूर्व पदाधिकारी ये बात पूरे दावे से कहते हैं। पंजाब में भगवंत मान आम आदमी पार्टी का सबसे लोकप्रिय चेहरा हैं। पार्टी में न्यूज़ लिंकर्स के एक सूत्र बताते हैं, अरविंद केजरीवाल भगवंत मान की ताकत कम करने में जुटे थे तथा केजरीवाल और भगवंत मान के रिश्ते अरविंद केजरीवाल के जेल जाने और लोकसभा चुनाव के लिए फंड न मिल पाने से ज्यादा बिगड़ गए थे। सूत्रों के मुताबिक लोकसभा चुनाव के बाद इसका असर दिखने भी लगा थी, केजरीवाल ने भगवंत मान पर लगाम कसनी शुरू कर दी थी। इसके लिए दिल्ली से दो खास लोगों को बड़ी जिम्मेदारी देकर पंजाब भेजा गयाl इनमें एक विजय नायर हैं, जो पूर्व डिप्टी CM मनीष सिसोदिया के करीबी हैं। वहीं दूसरे बिभव कुमार हैं, जो अरविंद केजरीवाल के सबसे भरोसेमंद लोगों में से एक हैं। जहां तक की आतिशी के शपथ ग्रहण समारोह से भी पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान नहीं पहुंचे थे। उम्मीद की जा रही थी कि केजरीवाल उन्हें बुलाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भगवंत मान को न्योता तक न देना केजरीवाल का कड़ा मैसेज था। वही आतिशी ने 21 सितंबर को दिल्ली की 9वीं मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। उन्होंने शिक्षा, PWD और वित्त समेत 13 विभाग अपने पास रखे। दरअसल, पंजाब का CM बनने के बाद से कई मोर्चों पर भगवंत मान ने दिल्ली को निराश किया। केजरीवाल और पार्टी के बड़े नेताओं की गिरफ्तारी का असर पंजाब में नहीं दिखा। गिरफ्तारी पर वहां न तो कोई बड़ा विरोध-प्रदर्शन हुआ, ना ही दिल्ली में विरोध जताने के लिए नेताओं का कोई बड़ा जत्था पहुंचा। सूत्र बताते हैं कि लोकसभा चुनाव में पंजाब सरकार से फंड के तौर पर पार्टी को कोई खास मदद नहीं मिली। माना जा रहा है कि आतिशी के शपथ समारोह में भगवंत मान को न्योता न देने के पीछे यही बड़ी वजह रही। पंजाब में भगवंत मान की जगह दूसरे CM को नियुक्त करने की खबर भी मीडिया में चल रही थी। सूत्रों का कहना है कि यह खबर भी आम आदमी पार्टी की दिल्ली की सोशल मीडिया टीम के जरिए उड़वाई गई थी। दरअसल भगवंत मान बीमारी के कारण अस्पताल में दाखिल थे। भगवंत मान को मोहाली के एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। उनके फेफड़ों की एक आर्टरी में सूजन थी, जिससे हार्ट पर प्रेशर पड़ रहा था। भगवंत मान को मोहाली के एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। उनके फेफड़ों की एक आर्टरी में सूजन थी, जिससे हार्ट पर प्रेशर पड़ रहा था। केजरीवाल इस खबर के जरिए यह जानना चाहते थे कि मान को अगर सच में रिप्लेस किया जाए तो पंजाब में क्या प्रतिक्रिया होगी। इस खबर को न तो आम आदमी पार्टी ने मंजूरी दी और न ही इसका खंडन किया। बहरहाल राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो पंजाब में पिछले तीन वर्षों से CM पद पर हाईकमान के दबाव में घुटन महसूस कर रहे मान दिल्ली के नतीजों के बाद अपने 40-50 विधायकों के साथ बड़ा राजनीतिक विस्फोट कर सकते है l अरवविंद केजरीवाल की सुरक्षा में लगे पंजाब पुलिस के 64 जवान चुनाव प्रचार के दौरान वापिस बुलाने व कपूरथला हाऊस में हुआ रेड भी संदिग्ध बताया जा रहा है क्योंकि कपूरथला हाऊस में CM मान के ही अधिकतर लोग ठहरे हुए थे जबकि CM मान के पास केवल दो ही कमरे थे l जिस कारण ज्यादा नुकसान केजरीवाल समर्थकों को ही हुआ था l