जालंधर/सिंघु बार्डर /दिल्ली (हितेश सूरी/स. ह) : संयुक्त किसान मोर्चा का राष्ट्रीय अधिवेशन आज सर्वसम्मति से देश के हर गाँव में अपने आंदोलन का विस्तार करने, 25 सितंबर को एक दिन के भारत बंद के आह्वान और मुजफ्फरनगर में 5 सितम्बर को SKM की रैली को सफल बनाने के आह्वान के साथ संपन्न हो गया। सम्मेलन को किसानों, कृषि श्रमिकों, ट्रेड यूनियनों, महिलाओं, छात्रों, युवाओं, व्यापारी निकायों के 90 वक्ताओं व 2000 से अधिक प्रतिनिधियों ने 3 कृषि अधिनियमों को रद्द करने, सी2+50 प्रतिशत के MSP पर सभी कृषि उपज की खरीद की कानूनी गारंटी के लिए, नए बिजली बिल को निरस्त करने और NCR में वायु गुणवत्ता के नाम पर किसानों पर मुकदमा चलाने पर प्रतिबंध लगाने की मांग पर एकजुटता बनाई गई l
सभा में वक्ताओं ने अल्पसंख्यकों पर सांप्रदायिक हमलों करने और देश की प्राकृतिक संपत्ति और सार्वजनिक क्षेत्र को कॉर्पाेरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को बेचने के खिलाफ भी आवाज उठाई। आयोजन समिति के संयोजक डॉ आशीष मित्तल ने कहा कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि आज पूरा किसान समुदाय कृषि, खाद्य भंडारण और कृषि बाजार के सभी पहलुओं पर कॉर्पाेरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के नियंत्रण से लड़ने के लिए मजबूर है। किये जा रहे इन परिवर्तनों से किसान ऋण, आत्महत्या और भूमि से विस्थापन में व्यापक वृद्धि होगी। उन्होंने कहा की यह हमला किसानों और खेतिहर मजदूरों तक सीमित नहीं है। यह भारत के मेहनतकश लोगों के सभी वर्गों के अधिकारो पर चौतरफा हमला हैं l गरीबों के लिए कल्याण और सेवा क्षेत्र, विशेष रूप से सब्सिडी और राशन पर निशाना साधा जा रहा है। आवश्यक वस्तुओं, विशेषकर ईंधन की कीमतों में भारी वृद्धि की जा रही है। सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा क्षेत्र का निजीकरण किया जा रहा है और इन क्षेत्रों के विकास में केवल कॉरपोरेट का वर्चस्व है। उन्होंने किसान अंदोलन के वर्तमान स्वरुप को ऐतिहासिक किसान संघर्ष बताते हुए यह केवल अपने अस्तित्व की लड़ाई नहीं है। यह देश को भारतीय और विदेशी कॉरपोरेट्स द्वारा, पूरी तरह से अपने कब्जे में लेने से बचाने की लड़ाई है। यह वास्तविक आत्म-निर्भर विकास का मार्ग है, जो अपने देशभक्त नागरिकों के जीवन और आजीविका की रक्षा करता है। इसने करोड़ों लोगों के विश्वास को प्रेरित किया है और आने वाले दिनों में भी ऐसा करती रहेगी।
सम्मेलन में किसानों को RSS-BHP के सभी उकसावों, सरकार द्वारा निराधार और झूठे आरोप लगाने, कठोर कानूनों के तहत फरजी रूप से पाबंध करने के बावजूद, देश को लूट से बचाने हेतु, नागरिकों को प्रेरित करने के लिए, शांतिपूर्ण विरोध जारी रखने का आह्वान किया।
कन्वेंशन ने समझा कि इस आंदोलन ने सभी धर्मों, जातियों और क्षेत्रों के लोगों को एकजुट करने में एक महत्वपूर्ण काम किया है और कॉरपोरेट लूट से मुक्त आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में, सबसे उत्पीड़ित वर्गों के विश्वास और भागीदारी को प्रेरित किया है।