पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने डेरा बस्सी के एसडीएम को न्यायिक अधिकारियों के लिए अदालती सुनवाई हेतु अपना कार्यालय खाली करने के दिए निर्देश ; जालंधर के एडवोकेट अभिषेक भारद्वाज और डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन मलेर कोटला द्वारा दायर की गई जनहित याचिका में 20 दिसंबर को आया बड़ा फैसला
जालंधर (ब्यूरों) : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने जिला मोहाली के डेरा बस्सी के एसडीएम को न्यायिक अधिकारियों के लिए अदालती सुनवाई हेतु भवन का उपयोग करने के लिए अपना कार्यालय खाली करने का निर्देश दिया है। यह मामला पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में न्यायिक बुनियादी ढांचे के मुद्दों से संबंधित सुनवाई का हिस्सा है। जालंधर के एडवोकेट अभिषेक भारद्वाज और डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन मलेर कोटला द्वारा पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका में 20 दिसंबर को बड़ा फैसला आया है। मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल की खंडपीठ ने पंजाब में अपर्याप्त न्यायिक बुनियादी ढांचे पर कड़ी असहमति व्यक्त की और राज्य से अधिक न्यायालय कक्षों के निर्माण में तेजी लाने का आग्रह किया है। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि पंजाब राज्य लोकतंत्र के तीसरे स्तंभ (न्यायपालिका) के साथ बहुत खराब व्यवहार कर रहा है। इस मामले में न्यायालय न्यायिक अधिकारियों के लिए आवास की उपलब्धता की भी निगरानी कर रहा है। सुनवाई के दौरान खंडपीठ को पता चला है कि मोहाली जिले के डेरा बस्सी में तीन न्यायिक अधिकारी इमारत की दूसरी मंज़िल पर अदालत चला रहे है जबकि एसडीएम का कार्यालय पहली मंजिल पर है। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि यदि हम पहली मंजिल पर एसडीएम के कार्यालय की स्थिति और दूसरी मंज़िल पर 3 न्यायिक न्यायालयों की स्थिति की तुलना करें तो दोनों में बहुत अंतर है क्योकि पहली मंजिल पर एसडीएम का कार्यालय पुनर्निर्मित और अच्छी तरह से सुसज्जित है, लेकिन दूसरी मंज़िल पर अदालत की मुरम्मत व नवीनीकरण की विशेष तौर पर जरुरत है। पंजाब सरकार द्वारा कार्रवाई न किए जाने के कारण न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि एसडीएम को पहली मंज़िल पर स्थित एसडीएम कार्यालय खाली करना होगा और पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को आदेश दिया है कि वह डेरा बस्सी में उप-विभागीय न्यायिक न्यायालयों द्वारा न्यायिक अधिकारियों के लिए अदालती कार्यवाही करने के लिए भवन के प्रथम और भूतल दोनों के लिए आवंटन आदेश जारी करे। न्यायालय ने निर्देश दिया कि परिसर खाली करने और आवंटन आदेश जारी करने की यह प्रक्रिया दो सप्ताह के भीतर पूरी की जाए। इसके अतिरिक्त हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि सरकार यह भी सुनिश्चित करें कि सुनवाई की अगली तारीख से पहले उक्त ईमारत की दूसरी मंज़िल की मुरम्मत की जाए। मामले की अगली सुनवाई 7 जनवरी, 2025 को होगी। हाईकोर्ट की बिल्डिंग कमेटी ने खंडपीठ को जानकारी दी है कि कमेटी द्वारा पंजाब सरकार को नए कोर्ट काम्प्लेक्स की पुन:निर्माण हेतु सम्बंधित खर्चें का बजट भेजा गया है। खंडपीठ ने पंजाब सरकार को यह भी आदेश जारी किये है कि वह इस निर्माण प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करवाए।