-हितेश सूरी
पंजाब के पूर्व मंत्री स्व. श्री मनमोहन कालिया जैसे महामानव ईश्वर कृपा से पृथ्वी पर जन्म ही समाज के उद्धार व पथ-प्रदर्शन हेतु लेते है l अत्यंत खेदजनक है कि आधुनिकता के इस दौर में ऐसे महापुरुष आज केवल कथा-कहानियों तक सिमटते जा रहे है l पंजाब के पूर्व मंत्री स्व. श्री मनमोहन कालिया की 38वीं पुण्यतिथि पर उनकी जीवन यात्रा के कुछ पहलू प्रकाशित कर रहे है ताकि नई पीढ़ी स्व. श्री कालिया के अत्यंत सादा चरित्र जीवन के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य जान सके व अपने जीवन में उतार सके।
पंजाब के पूर्व मंत्री मनमोहन कालिया जिस दौर में समाज में विचर रहे थे, राजनीति का वह दौर संघर्ष का दौर माना जाता था। कड़वी से कड़वी सच्चाई को मधुर और सभ्य शब्दों में कहना श्री मनमोहन कालिया की विशेषता थी। समाज की उलझनों, समस्याओं और मुश्किलों और उनके हल को श्री कालिया ने ‘थॉट एट मिट नाइट’ किताब के रूप में समाज को समर्पित किया। इस पुस्तक के विमोचन के लिए सऩ् 1986 में जब पंजाब के तत्कालीन राज्यपाल सिदार्थ शंकर रें विशेष तौर पर जालंधर पधारे, तो रेडक्रॉस के भरे हाल में सिदार्थ शंकर अपने भाषण में मनमोहन कालिया के विचारों को याद कर भावुक हो गए थे।
मनमोहन कालिया का जन्म पं अमीर कृष्ण कालिया जी के घर 15 जून 1930 को हुआ। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संपर्क में आने के बाद वह 21 वर्ष की आयु में जनसंघ के सदस्य बन गए। 1955 में उन्होंने जालंधर से ही एल.एल.बी डिग्री पास करके वकालत का व्यवसाय अपनाया। 1964 में वह जालंधर पालिका के सदस्य चुने गए तथा 1967 में पहली बार वह पंजाब विधान सभा के लिए निर्वाचित हुए। उन्होंने अपने राजनितिक सफर में कड़ा संघर्ष किया। वह थोड़े समय के लिए लोकल बॉडी मिनिस्टर रहे, तब उन्होंने जालंधर में सीवरेज की योजना बनाई और कई क्षेत्रों में इसे शुरू करवाया। आपातकाल के दौरान 19 महीने तक वह फिरोजपुर की जेल में रहे। सऩ् 1977 में जब आपातकाल समाप्त हुआ, तब लोकसभा चुनाव की घोषणा हुई। जनता पार्टी ने मनमोहन कालिया को चुनाव लड़ने के लिए कहा परंतु प्रकाश सिंह बादल की इच्छा पर इकबाल सिंह ढिल्लों अकाली दल की टिकट पर चुनाव लड़े। तब भी कालिया ने ढिल्लों को अपना समर्थन दिया और उनके इलेक्शन इंचार्ज बने। इस चुनाव में ढिल्लों ने कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व विदेश मंत्री स्वर्ण सिंह को हराया। पूर्व मंत्री स्व. श्री मनमोहन कालिया पंजाब विधानसभा के चुनावों में कांग्रेसी प्रत्याशी श्री यश को पराजित कर जालंधर मध्य चुनाव क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे। वह इससे पूर्व वर्ष 1967, 1969 तथा 1977 में भी विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए थे और वह 1985 में फिर से विधायक बने।
2 जून 1986 को श्री कालिया पंजाब विधानसभा के एक दिवसीय विशेष अधिवेशन में भाग लेने के उपरांत कार द्वारा चंडीगढ़ से जालंधर आ रहे थे, उनकी कार को रात को एक ट्रक ने टक्कर मार दी, जिससे श्री कालिया का घटनास्थल पर ही निधन हो गया था अर्थात 1986 में चंडीगढ़ से आते हुए रात को एक सड़क हादसे ने जनता से उनका लोकप्रिय नेता छीन लिया। पंजाब के पूर्व मंत्री स्व. श्री मनमोहन कालिया की 38वीं पुण्यतिथि पर आज उनके सपुत्र पूर्व मंत्री मनोरंजन कालिया ने अपने निवास स्थान पर हवन यज्ञ कर श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया, जिसमे शहर के प्रमुख गणमान्यों ने पहंचकर स्व. श्री कालिया को श्रद्धांजलि भेंट करते हुए उन्हें याद किया।