जालंधर (योगेश सूरी) : खालिस्तानियों में चल रही गैंगवार में कुछ महीने पहले कनाडा में मारे गए भारत के मोस्टवांटेड और खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से जल्दी पर्दा उठ सकता है। कनाडा पुलिस ने इस हत्याकांड में शामिल दो संदिग्धों की पहचान कर ली है और इनके खिलाफ पुख्ता सबूत भी जुटा लिए गए हैं। इन दोनों की गिरफ्तारी बहुत जल्दी हो सकती है। खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद भारत और कनाडा के आपसी रिश्ते ठीक नहीं चल रहे। कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडो भारत पर निज्जर की हत्या कराने का आरोप लगा चुके हैं। हालांकि भारत सरकार इन आरोपों को खारिज कर चुकी है। ऐसे में इस मामले पर सबकी नजरें टिकी हुई है। कनाडा के अखबार ‘द ग्लोब एंड मेल’ ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि निज्जर की हत्या के बाद उसके कातिलों ने कनाडा नहीं छोड़ा। वह कनाडा में ही रह रहे हैं।
कनाडाई पुलिस कई महीनों से इन पर नजर रख रही है और इनकी हर गतिविधि को बारीकी से मॉनिटर किया जा रहा है। द वॉशिंगटन पोस्ट अपनी इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट में दावा कर चुका है कि हरदीप सिंह निज्जर के मर्डर की प्लानिंग काफी बड़े स्तर पर की गई। इस हत्याकांड में कम से कम 6 लोग और 2 कारें शामिल रहीं। निज्जर की हत्या के 20 मिनट बाद मौके पर पहुंची पुलिस टीमों में जांच को लेकर विवाद भी हुआ। द वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी ये रिपोर्ट सीसीटीवी फुटेज और घटना के वक्त आसपास मौजूद लोगों के इंटरव्यू के आधार पर लिखी। NIA ने आतंकी निज्जर पर 10 लाख रुपए का इनाम रखा था। NIA ने आतंकी निज्जर पर 10 लाख रुपए का इनाम रखा था। खालिस्तान टाइगर फोर्स का प्रमुख निज्जर मूलरूप से पंजाब में जालंधर का रहने वाला था। वह 1996 में फर्जी पासपोर्ट पर कनाडा चला गया और 2007 में वहां की नागरिकता हासिल कर ली। उसने 2012 में पाकिस्तान से हथियारों और आईईडी ब्लास्ट की ट्रेनिंग ली। भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण उसका नाम भारत के 40 मोस्टवांटेड आतंकियों की लिस्ट में शामिल था। 2020 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उसे आतंकी घोषित किया था। उसकी हत्या के बाद भारतीय जांच एजेंसियों ने उसकी जालंधर स्थित प्रॉपर्टी अटैच कर ली। उधर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने निज्जर की हत्या के पीछे भारत के खुफिया एजेंट्स का हाथ बताया। इसके बाद दोनों देशों के कूटनीतिक रिश्तों में दरार हो गई। हालांकि निज्जर की हत्या से जुड़े नए खुलासे कनाडा के प्रधानमंत्री और उसकी जांच एजेंसियों की थ्योरी पर ही सवाल उठा रहे हैं।