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चन्नी की जुबान बन सकती है कांग्रेस की हार का कारण : फिलहाल जालंधर सीट पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस और आप के बीच, ग्रामीण क्षेत्रों में पिछड़ती दिख रही भाजपा, पढ़े व देखें पूरे समीकरण

जालंधर (योगेश सूरी) : जालंधर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की जनसभाओं में पुंछ में एयरफोर्स पर हुए आतंकी हमले की घटना पर कांग्रेस के उम्मीदवार चन्नी के विवादित बयान पर कांग्रेस बुरी तरह घिरती दिखाई दे रही है l पुंछ आतंकी हमले के सवाल पर चन्नी ने कहा यह स्टंटबाजी हो रही है। यह केवल हमले नहीं हो रहे, जब चुनाव आते हैं तो सेना पर हमले करवाए जाते हैं। भाजपा को जिताने के लिए माहौल तैयार किया जाता है। पहले से तैयारी कर हमले करवाए जाते हैं। यह भाजपा को जिताने के लिए किए गए हैं। चन्नी के इस बयान पर विपक्षी पार्टी भाजपा चन्नी को बुरी तरह घेरने में जुट गई है। जालंधर में पहले अनुराग ठाकुर ने कहा चन्नी के बयान से पता चलता है कांग्रेस की मानसिकता कितनी गिरी हुई है। चन्नी का बयान शर्मनाक है। चन्नी पूरे देश से, सेना से माफी मांगें। इसी बीच चन्नी ने कहा अनुराग ठाकुर आएंगे और कुछ लोग खड़े होकर सिरोपा डालेंगे, लेकिन कोई उन्हें वोट नहीं देगा। चन्नी ने कहा कुछ लोगों को डराया जाता है और फोटो खींचने के लिए कहा जाता है। लेकिन फिर भी वे उन्हें वोट नहीं देते। जबकि अब जालंधर से भाजपा उम्मीदवार सुशील रिंकू भी चन्नी को घेरने में जुट गए है l

जालंधर पंजाब की सबसे हाट सीट के रुप में देखी जा रही है l इस आरक्षित सीट पर कांग्रेस ने पूर्व CM चरणजीत सिंह चन्नी को उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर इस बार कांग्रेस के उम्मीदवार चन्नी को छोड़कर बाकी मुख्य पार्टियों के कैंडिडेट पलटमार हैं। हलांकि चन्नी की उम्मीदवारी से नाराज होकर ही लगातार 2 बार सांसद रहे दिवंगत संतोख सिंह चौधरी की पत्नी करमजीत कौर चौधरी BJP में शामिल हो चुकी है। पूर्व सांसद संतोख चौधरी का राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान देहांत हो गया था। जिसके बाद हुए उप-चुनाव में पार्टी ने दिवंगत चौधरी की पत्नी करमजीत कौर को कांग्रेस के उम्मीदवार के रुप में उतारा था, लेकिन AAP की टिकट पर चुनाव लड़े सुशील रिंकू ने उन्हें हरा दिया था।
रिंकू यहां से अब भाजपा के उम्मीदवार हैं। उन्होंने कुछ दिन पहले AAP छोड़ भाजपा जॉइन की थी। हालांकि, उन्हें AAP ने जालंधर से उम्मीदवार घोषित भी किया था।
इसी तरह आप ने शिअद को अलविदा कहकर आए पवन कुमार टीनू काे अपना उम्मीदवार बनाया है। जबकि, शिरोमणि अकाली दल ने कांग्रेस छोड़ कर आए मोहिंदर सिंह केपी को टिकट दिया है। जालंधर लोकसभा हलके में 9 विधानसभा आती हैं। इनमें 2022 के विधानसभा चुनाव में 5 सीटें आप ने जीती थीं, जबकि 4 पर कांग्रेस का कब्जा किया था। हालांकि अब जालंधर वैस्ट से आप विधायक शीतल अंगुराल भी भाजपा जॉइन कर चुके है। दिलचस्प बात यह है की इस सीट पर डेरा प्रभाव साफ दिखेगा। यहां लोग आप विधायकों से चाहे कुछ नाराज नज़र आते है लेकिन CM भगवंत मान की नीतियों से लोग खुश भी है। इस सीट पर इस बार पलटमारी , महंगाई, नशा, क्राइम और इंडस्ट्री का उचित विकास न होना आदि मुख्य मुद्दे हैं। सीट का पूरा समिकरण समझा जाए तो इस सीट की 9 विधानसभाओं में से 4 शहरी एरिया में आती है। यहां भाजपा मजबूत स्थिति में है। जिसे उप-चुनावों से समझा जा सकता है l ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा को किसान आंदोलन की वजह से नुकसान उठाना पड़ रहा है। शहरों में विकास ना होना भी आप के लिए एक नाराजगी का कारण हो सकता हैं। कांग्रेस ने भी एक माहिर खिलाड़ी पूर्व CM चरणजीत सिंह चन्नी पर दाव खेला है l चन्नी पिछले कई महीनों से इस सीट पर सक्रियभी हैं। वहीं, वह डेरे के करीबी माने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि डेरा समर्थक उनके पक्ष में हैं। वह शहर से लेकर ग्रामीण तक मजबूत दिख रहे हैं। कांग्रेस का कैडर मजबूत है। शिरोमणि अकाली दल की तरफ से पूर्व सांसद रहे मोहिंदर केपी को उम्मीदवार बनाया है। शहरी एरिया में अकाली दल का अपना आधार नहीं है। वहीं, पार्टी की ग्रामीण एरिया में जो पैठ हुआ करती थी, उसमें भी आप ने सेंध लगा दी है। वहीं, बेअदबी के मुद्दे से भी अभी तक लोग गांवों में आहत हैं। उधर, जीरो बिजली बिल, फ्री राशन जैसी स्कीम का सत्ताधारी दल को फायदा दिख रहा है।
जातीय समीकरण व डेरा फैक्टर
इस सीट पर डेरा फैक्टर व जातीय समीकरण अहम भूमिका निभाते हैं। यहां पर 32.75 फीसदी सिख हैं। जबकि 39 फीसदी अनुसूचित जाति के लोग हैं। 2 फीसदी के करीब मुसलमान हैं।इस सीट पर 20 बार हुए चुनाव में 12 बार कांग्रेस विजयी रही है। जबकि एक बार 2023 में चौधरी संतोख सिंह के निधन के बाद हुए उपचुनाव में यहां से AAP की टिकट पर सुशील कुमार रिंकू जीते थे।जालंधर से करीब 20 किलोमीटर पर डेरा सचखंड गांव बल्लां में स्थित है। पंजाब की जालंधर और होशियारपुर लोकसभा सीटों के अधीन आने वाली 18 विधानसभाओं में इसका पूरा प्रभाव है। डेरे के अनुयायी लाखों में है। देश ही नहीं विदेशों में डेरे की ब्रांच हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी, सीएम भगवंत मान यहां नतमस्तक हो चुके हैं।राज्य में 39 जातियों को अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल किया गया है। डेरे के समर्थक अधिकतर दलित समाज का हिस्सा हैं।दिव्य जागृति संस्थान भी जालंधर के नूरमहल में स्थित है। यह डेरा आशुतोष महाराज ने 1983 में स्थापित किया था। संस्थान के तीन करोड़ से अधिक अनुयायी हैं, जबकि 15 देशों में डेरे की 350 करीब ब्रांच हैं। इस डेरे का प्रभाव भी करीब आठ सीटों पर माना जाता है। बहरहाल उपरोक्त समिकरणों को समझे तो जालंधर सीट पर मुख्य मुकाबला आप और कांग्रेस में ही होने की सम्भावना है बर्शते की कांग्रेस उम्मीदवार चन्नी विवादित बयानों से बचे क्योंकि वह 2022 में भी प्रवासियों पर दिए एक विवादित बयान का खमियाजा भुगत चुके है l

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