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बसों की आवाजाही ठप्प: 8 हजार ठेका मुलाजिमों ने सरकारी बसो का किया चक्का जाम ; प्राइवेट बसें चलती रहेगी!!

जालंधर (हितेश सूरी) :  जालंधर में ठेका मुलाजिमों ने पक्का करने की अपनी मांगो को लेकर सरकारी बसों की आवाजाही ठप्प कर दी है। बता दे की पूर्व घोषित एलान के मुताबिक आज से पंजाब रोडवेज, पनबस व पीआरटीसी के ठेके पर रखे गए ड्राइवर, कंडक्टर हड़ताल पर चले गए हैं। इस वजह से पूरे पंजाब में करीब 2 हजार बसों की आवाजाही बंद रहेगी। यह हड़ताल अनिश्चितकालीन रहेगी। सभी कच्चे कर्मचारी सरकार से उन्हें रेगुलर करने की मांग कर रहे हैं। बता दे की ठेका मुलाजिमों ने पहले भी कई बार 2 घंटे या पूरा दिन बस स्टैंड बंद रखकर प्रदर्शन किया था पर मामले का कोई हल नहीं निकला l

जहां तक की पंजाब के ट्रांसपोर्ट मंत्री के साथ भी उनकी बैठक हुई, लेकिन रेगुलर करने पर कोई फैसला नहीं हुआ। इसी बीच बता दे की जिन यात्रियों को जरूरी कहीं बस से जाना है, वे प्राइवेट बस में सफर कर सकते हैं। इसके साथ पक्के कर्मचारियों वाली कुछ सरकारी बसें भी चलेंगी। हालांकि यह बसें बस स्टैंड के भीतर नहीं जाएंगी l
बता दे की ठेका कर्मचारियों की हड़ताल को देखते हुए लंबे रूट की सभी बसें रोक दी गई हैं। जालंधर बस स्टैंड से दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड के लिए रूट चलते हैं। लेकिन इन्हें चंडीगढ़ व अंबाला तक ही चलाकर बसें वापस बुलाकर जालंधर डिपो में खड़ी कर दी गई हैं। क्योंकि पंजाब में सरकारी बसें ठेका कर्मचारियों के सहारे ही चल रही हैं। ट्रांसपोर्ट विभाग के पास पीआरटीसी की करीब 1100, पंजाब रोडवेज की 450 और पनबस की करीब 1200 बसें हैं। इनमें गिनती के ही सरकारी कर्मचारी हैं। बाकी सभी कॉन्ट्रैक्ट पर रखे ड्राइवर व कंडक्टर हैं। पनबस व पीआरटीसी में ज्यादातर बसें कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों से चलवाई जा रही हैं। पंजाब में रोडवेज के 18 व पीआरटीसी के 9 डिपो के कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी हड़ताल में शामिल हैं।
ठेका कर्मचारी यूनियन के प्रधान गुरप्रीत सिंह ने कहा है कि सरकार को कच्चे कर्मचारी जल्दी पक्के करने होंगे। इसके अलावा छिटपुट केसों में बर्खास्त किए कर्मचारियों को बहाल करना होगा। वह लगातार मांग कर रहे हैं कि पंजाब सरकार 10 हजार बसों का नया फ्लीट लाए, ताकि महिलाओं को मुफ्त सफर समेत पूरे राज्य में लोगों को आसानी से बस सुविधा मिले। सरकारी बसें न होने से प्राइवेट बसें बढ़ रही हैं। सरकार नई बसें न लाकर खुद ही इन्हें बढ़ावा दे रही है। जब तक मांगें नहीं मानी जाती, हड़ताल जारी रहेगी।

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