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अटपटा है पर सच है
अहमद शाह अबदालीया (बुतशिकन) आज कल बेच रहा मन्दिरों की मूर्तियों के सरीए
छैने और हथोड़ियो से किए मूर्तियों पर प्रहार, कहा मैं ब्राह्मण नहीं

-योगेश सूरी

जालंधर : आजकल जालंधर में एक आज के अहमद शाह “अबदालीया” का किस्सा चर्चा में है l इतिहास की जानकारी रखने वाले पाठक जानते है कि मंदिरों की मूर्तियां तोड़ने वाले इस मुगल शासक को न केवल हिन्दू धर्म में एक क्रूर शासक के रुप में ही जाना जाता है बल्कि इसने हिन्दू मंदिरों के नामों-निशान मिटा कर सनातन धर्म के नामों निशान तक मिटाने की कोशिश की थी l इन “अबदालियो” का किस्सा थमा नहीं.. आज भी जालंधर में एक मूर्ति भंजक (बुतशकीन) “अबदालीया” अपने मुगल पूर्वजों की राह पर चलते हुए न केवल मंदिरों की प्राचीन मूर्तियां ढहाने में जुटा हुआ है बल्कि अपने दिहाडीदार असमर्थ व असहाय दिहाड़ीदारो और समाज में हड्डी चोर महंतो के रुप में जाने जाते लोगों के बल पर एक हनुमान जी के परमभक्त शिल्पकार की न केवल निशानियां मिटाने में जुटा है बल्कि समाज में एक काला इतिहास लिखने की तैयारी में है l मूर्तियों को ध्वस्त करना तो उस पुराने अबदालियां का काम रहा पर यह आज का अबदालिया तो उन मूर्तियों को न केवल हथौड़े-छैनियों से ध्वस्त ही कर रहा है बल्कि उनमें लगें सरीयों तक को बेचने पर आमादा है l मामला बड़ा और बात लम्बी है l “अटपटी है पर सच है” में बनें रहे l न्यूज़ लिंकर्स करेगा ऐसे-ऐसे खुलासे की वर्षो से इस “अबदालीया” को स्पोर्ट करने वालो की आंखे भी खुली की खुली रह जाएगी l (क्रमशः)

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