जालंधर (हितेश सूरी) : जालंधर के जाने मानें एडवोकेट अभिषेक भारद्वाज ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि प्रदूषण का स्तर दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है जोकि लोगों को बेहद परेशान कर रहा है और बढ़ रहे प्रदूषण के चलते स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार ने सभी राज्यों को चेतवानी भी जारी की है। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो पंजाब सरकार यह दावा कर रही है कि पिछले साल के मुकाबले पराली जलाने की घटनाओं में 16 फीसदी की कमी आई है, वही दूसरी तरफ पिछले 24 घंटों में चंडीगढ़ समेत पंजाब के कई शहरों में प्रदूषण का स्तर 300 को पार कर गया है। उन्होंने कहा कि लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो चुका है। इस सम्बन्ध में एडवोकेट अभिषेक भारद्वाज ने जालंधर के डिप्टी कमिश्नर को माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2018 को दिए गए आदेश की कॉपी और कुछ जानकारी ईमेल द्वारा भेजी है ताकि जल्द से जल्द लोकल प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन कोर्ट के आदेश लागू करवा सके।
एडवोकेट अभिषेक भारद्वाज ने बताया कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 2018 को महत्वपूर्ण आदेश दिया था, जिसमे सुप्रीम कोर्ट द्वारा पटाखों पर पूर्ण तौर पर बैन लगाया गया था। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस निर्णय में कई जरुरी दिशा-निर्देश जारी किये थे, जिसके तहत पर्यावरण अनुकूल पटाखे बेचने हेतु पटाखा विक्रेताओं को स्थानीय प्रशासन से लाइसेंस लेना होगा। उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन के अंतर्गत आते उच्च अधिकारी डिप्टी कमिश्नर, सब डिविजनल मजिस्ट्रेट व अन्य द्वारा पटाखा विक्रेताओं को तभी लाइसेंस दिए जायेंगे अगर वह कानूनी शर्तें पूरी करते हैं। गौरतलब है कि बाजारों में बिना किसी लाइसेंस से दुकानदारों द्वारा सरेआम पटाखो की बिक्री हो रही है। एडवोकेट भारद्वाज ने कहा कि कोर्ट ने यह भी दिशा-निर्देश दिए थे कि दिवाली, गुरुपुरब, नव वर्ष व अन्य किसी विशेष त्यौहार पर सिर्फ 2 घंटे ही पटाखें चलाने की अनुमति होगी, जिसके तहत रात 8 बजे से रात 10 बजे का समय निश्चित किया गया है और कोर्ट ने अपने इस निर्णय में यह भी कहा कि इन दिशा-निर्देशों की पालना कराने की पूरी ज़िम्मेदारी स्थानीय प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन के उच्च अधिकारियों की होगी। उन्होंने कहा कि निर्णय में यह भी कहा गया कि अगर स्थानीय प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन के उच्च अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों को लागू नहीं करवा पाते उसे न्यायालय की अवमानना मानी जाएगी। उन्होंने कहा कि इस समय मंडी गोबिंदगढ़ को छोड़कर सभी शहरों का प्रदूषण स्तर यलो जोन में है जबकि मंडी गोबिंदगढ़ में औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 226 दर्ज किया गया है।