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`जलाओ नहीं कमाओ’- पराली बिजली उत्पादन प्लांट को बेचकर अच्छी कमाई कर रहे हैं किसान ; जालंधर के पास पराली के उचित प्रबंधन में सहायक 32 बैलर मशीनें

जालंधर (हितेश सूरी) : जालंधर प्रशासन की तरफ से किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसानों के खिलाफ जागरूक करने के लिए किये जा रहे ठोस प्रयासों के फलसवरूप बहुत से किसानों ने पराली जलाने की बजाय इससे पैसे कमाने का ढंग खोज लिया है। अधिक जानकारी देते हुए डिप्टी कमिश्नर जालंधर घनश्याम थोरी ने बताया कि पिछले साल ज़िले के पास रेक्स समेत सिर्फ़ 20 बेलर मशीने थी और इस साल सरकार की 50 प्रतिशत सब्सिडी स्कीम अधीन किसानों को 12 अन्य बेलर मशीनें दीं गई हैं। यह मशीन एक दिन में 20 से 25 एकड़ धान की पराली को बेल देती है और एक एकड़ में 25 से 30 क्विंटल पराली निकलती है। श्री थोरी ने बताया कि पराली की यह गांठें बिजली उत्पादन प्लांट की तरफ से 135 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदीं जा रही है। प्रशासन द्वारा इस मशीन को किसानों में लोकप्रिय बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है जिससे अन्य किसान भी पराली को जलाने की बजाय इसे आमदनी का साधन बना सकें। श्री थोरी ने बताया कि नकोदर के गांव बीड़ में स्थापित 6 मेगावाट की सामर्थ्य वाला बिजली उत्पादन यूनिट 30000 एकड़ में पराली का प्रबंधन कर रहा है और यह प्लांट 24 घंटे काम कर रहा है। प्लांट की 75000 टन धान की पराली का सामर्थ्य है। कंगन गांव के किसान मनदीप सिंह ने बताया कि वह नकोदर के गांव बीड़ में स्थापित बिजली उत्पादन यूनिट को लगभग 20,000 क्विंटल धान की पराली बेच रहा है और पराली की गांठें बनाने के बाद 135 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब के साथ बेच रहे हैं। धान की पराली उनकी कमाई का स्थायी साधन बन गई है और उसे देखते हुए इलाको के अन्य किसान भी आगे आए हैं और पराली बेचने के लिए तैयार हैं। इस तरह गांव मियांवाल आराय के मेजर सिंह ने बताया कि लगभग 3 टन पराली प्रति एकड़ पैदा की जा रही है और प्लांट उनको गांठें बनाने के बाद प्रति क्विंटल 135 रुपए की अदायगी कर रहा है। मुख्य कृषि अधिकारी डा. सुरिन्दर सिंह ने कहा कि किसानों को कटाई वाले खेत में रीपर चलाना पड़ेगा और बाद में रेक्स वाली एक छोटी सी मशीन बिखरी हुई पराली को कतार में डाल देती है और आखिर में बेलर गांठें बनाना शुरू कर देता है।

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