
जालंधर (हितेश सूरी): मौसम के निरंतर बदलते मिजाज के चलते घर-घर में बुखार व रेशा-खांसी की समस्या पैर पसारे हुए है l कोरोना महामारी के चलते अब इन साधारण बुखार व खांसी भी कोरोना महामारी के साथ जोड़ के देखी जा रही है, जबकि खुद डाक्टरो का मानना है की इस मौसम में टाईफाइड व खांसी आदि आम रोग है, पर मज़बूरी यह है की हर रोगी को कोरोना टैस्ट के लिए कहना पड़ रहा है l
अब समस्या यह है की कोई भी डाक्टर महामारी के इस दौर में कोई सम्भवित परेशानी अपने सिर पर लेने को तैयार नहीं है क्योंकि खुद प्रशासन ने कह रखा है की बुखार-जुकाम के हर रोगी की जानकारी स्वास्थ्य विभाग तक पहुंचना चाहिए l
अब विचारणीय बात जो कई माहिर डाक्टरो से चली लम्बी विचार-विमर्श के बाद सामने आ रही है वो यह है की ज्यादातर मरीज जो कोरोना टैस्ट के लिए पहुंच रहे है नो AC अथवा आरामपरस्त जीवनचर्या के आदि है जबकि मेहनत मशक्कत करने वाले वर्ग में यह पोजिटिव आंकड़ा बहुत कम है l माहिरो की माने तो हर वर्ष इस मौसमी बदलाव में बुखार व जुकाम के रोगीयो की संख्या बहुत अधिक रहती है जिसमें ज्यादातर संख्या टाईफाईड संक्रमित रोगियो की ही होती है l हर वर्ष AC का लुत्फ उठाने वाले एक बड़े वर्ग को टाईफाईड व रेशा-जुकाम के संक्रमण को झेलना पडता है पर वर्तमान में लोग कोरोना संक्रमण के भय के चलते सीधा कोरोना परिक्षण को प्रथमिकता दे रहे हैl माहिरो का मानना है की टाईफाईड आदि आम रोगो से ग्रसित रोगी की कोरोना रिपोर्ट पाजिटिव आने की पूरी सम्भावना रहती है क्योंकि इस संक्रमण के दौरान भी शरीर की एमुयुनिटी बहुत क्षीण रहती है l
ऐसे में कहना न होगा की कोरोना पाजिटिव रोगियो के पीछे सबसे अधिक कारण आरामपरस्त जीवन व AC ही है l