जालंधर (योगेश सूरी) : पंजाब में पूर्व कांग्रेस सरकार के समय में हुए बड़े अमरुद बाग घोटाले में गिरफ्तारियों का सिलसिला शुरु हो गया है l मामले की जांच में अब ED भी जुट चुकी है l बता दे की वर्ष 2017 से 2022 पूर्व कांग्रेस सरकार में मोहाली के साथ लगते एरिया में एक्वायर हुई जमीनों में फर्जी तरीके से अमरूद के बगीचे दिखाकर करोड़ों रुपए का मुआवजा सरकार से लिया गया था। इस मामले में प्रॉपर्टी डीलर, अफसर और IAS अफसरों की पत्नियां आरोपी हैं। विजिलेंस ब्यूरो ने इस मामले में एक आरोपी नायब तहसीलदार जसकरण सिंह बराड़ को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका खारिज होने के बाद मोहाली अदालत में सरेंडर किया है। इस मामले की ईडी भी जांच कर रही है।
चार महीने पहले ईडी ने मामले के आरोपियों के 26 स्थानों पर दबिश देकर 3.89 करोड़ जब्त किए थे।विजिलेंस ब्यूरो की जांच में सामने आया कि जसकरण सिंह बराड़ और इस मामले के मुख्य आरोपी के बीच सांठगांठ थी। इसके अलावा भुगतान जारी करने से पहले रिकॉर्ड में यह बात सामने आई थी कि कुछ भूमि मालिकों के नाम और हिस्सेदारी रिकॉर्ड से मेल नहीं खाते थे, जबकि कुछ नाम बिना किसी आधार के गलत तरीके से लाभार्थियों की सूची में शामिल किए गए थे। क्योंकि उन्होंने भूमि अधिग्रहण कानून की धारा 11 के तहत अधिसूचना जारी होने के बाद भूमि खरीदी थी।
HC से मिली थी जमानत, नहीं किया सहयोग
तहसीलदार ने खसरा गिरदावरी रिकॉर्ड की थी। जिसे नजर अंदाज कर विवरण वाली फाइल को एक ही दिन में 3 बार निपटाकर भुगतान की सिफारिश करने में अनावश्यक जल्दबाजी की। बराड़ को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से 11 दिसंबर 2023 को जमानत मिल गई थी। लेकिन आरोपी ने जांच में ब्यूरो के साथ कोई सहयोग नहीं किया । इसके बाद विजिलेंस ने हाईकोर्ट पहुंचकर उसकी याचिका का विरोध किया। मार्च में उसकी याचिका खारिज हो गई थी। फिर उसने सुप्रीम कोर्ट में शरण ली। थी। इस मामले में अब तक 23 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं। इस मामले में करोड़ों रुपए अदालत में जमानत जमा करवाकर कई लोग जमानत ले चुके हैं। फर्जी अमरुद बाग घोटाले में कई बड़ी राजनीतिक मछलियों के फंसने के भी क्यास लगाए जा रहे है।