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❌ विवाद: घर बैठे लर्निंग लाईसेंस योजना को लेकर विवादों में घिरी मान सरकार!!
❌ डा. कमल सोई ने बताया “लाईसेंस टू किल” योजना, कहा राज्य में दुर्घटना दर में होगी तीव्र वृद्धि!!
❌ लर्निंग लाईसेंस टेस्ट की व्यवस्था प्रशिक्षित अधिकारी की ही देख-रेख में करने की मांग

जालंधर (योगेश सूरी) : पंजाब की भगवंत मान सरकार द्वारा ई-गवर्नेंस के अंतगर्त आनलाईन लर्निंग लाइसेंस योजना शुरु होते ही विवादों में घिर गई है l जल्दबाजी में लिए इस निर्णय से जहां इस योजना को लेकर  अधिकारियों व लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है वहीं सड़क सुरक्षा संगठनों में भी इस योजना को लेकर बेहद तीखी प्रतिक्रियाएं निकल कर बाहर आनी शुरु हो गई है l

केन्द्र सरकार के रोड़ ट्रांसपोर्ट और हाई वे मंत्रालय द्वारा संचालित राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा कौसिंल के सदस्य व वरिष्ठ सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ डा. कमल सोई ने भगवंत मान सरकार की इस नई योजना पर न्यूज़ लिंकर्स से एक विशेष बातचीत में इसे सरकार द्वारा लोगों को बिना किसी प्रशिक्षण के “लाईसेंस टू किल” योजना बताया है lउन्होंने कहा की राज्य में पहले से ही दुर्घटना दर बहुत अधिक है ऐसे में यदि लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस जैसी सुविधा बिना किसी अधिकारिक जांच के घर बैठे दिया जाता है तो आने वाले दिनों में इस योजना के दुष्परिणाम सड़कों पर दौड़ते दिखाई देंगे l डा सोई ने कहा की पिछली सरकार द्वारा भी स्कूलों के प्रिसिपलों को यह लाइसेंस जारी करने का अधिकार देकर ऐसी योजना शुरु करने का प्रयास किया गया था, पर यह योजना बुरी तरह विफल हुई थी l उन्होंने कहा की इस योजना में अधिकतर अयोग्य लोग बिना किसी अधिकारिक जांच अथवा प्रशिक्षण के केवल “आधार कार्ड” के आधार पर लर्निंग लाईसेंस जैसा महत्वपूर्ण दस्तावेज प्राप्त करने में सफल हो जाएंगे व भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में सिर्फ अपने वाहन पर “L” लगा कर 6 महीनें के लिए वाहन चलाने हेतु अधिकृत हो जाएंगे जिससे राज्य में दुर्घटना दर में तीव्र वृद्धि होने की आशंका है l डा सोई ने इस योजना को सिर्फ राजनीतिक लाभ व प्रशंसा बटोरने का प्रयास बताते हुए कहा की किसी सरकार को लोगों की जान खतरे में डालने का अधिकार नहीं है l उन्होंने लर्निंग लाईसेंस योजना में शीघ्र संशोधन करने व लाईसेंस टेस्ट अधिकारिक कार्यालय में ही करवाए जाने की मांग की है l एक अन्य समाजिक कार्यकर्ता व सड़क सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञ धीरज अरोड़ा ने कहा की सरकार की इस योजना से दिव्यांग व असमर्थ लोग भी लर्निंग लाईसेंस जैसा महत्वपूर्ण दस्तावेज बनवाने हेतु योग्य हो जाएगा l श्री अरोड़ा ने कहा की यह योजना उल्टा लोगों को तहसील परिसरों में बैठे दलालों के चगुंल में फंसा देगी क्योंकि राज्य के अधिकतर गांवो व जहां तक की शहरों के ज्यादातर लोग भी इस आनलाईन सुविधा का लाभ लेने में असमर्थ है क्योंकि उन्हें ई-गवर्नेंस की पूरी जानकारी नहीं है ऐसे में वह एजैंटों व कैफों आदि पर पूरी तरह निर्भर करेगें व उन्हें लाईसेंस के लिए मुहंमांगे दाम अदा करने होंगे l ऐसे में सरकार को सड़क सुरक्षा कानूनों व मापदंड़ो का पूरा पालन करते हुए लर्निंग लाईसेंस टैस्ट किसी प्रशिक्षित अधिकारी की देख-रेख में सरकारी कार्यालय में ही करवाया जाना चाहिए l बहरहाल सरकार द्वारा शुरु की गई योजना मात्र दो दिनों में ही विवादों में घिर गई है व आने वाले दिनों में इसपर सड़क सुरक्षा संगठनों की रिपोर्टे सरकार तक पहुंच सकती है l

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