जालंधर (हितेश सूरी) : बीतें दिनों जालंधर में नगर निगम चुनाव के घोषित हुए नतीजों के बाद शहर की राजनीति को लेकर कई क्यास लगाए जा रहे है। सत्ताधारी पार्टी ने चुनावों के बाद ‘आया राम… गया राम’ की राजनीति के साथ बहुमत के आंकड़े को आसानी से छू लिया है। इसी बीच अगर पूर्व मेयर जगदीश राज राजा और उनकी पत्नी अनीता राजा की हार पर गौर किया जाये तो ऐसे प्रतीत होता है कि दाल में कुछ काला है। सूत्रों के मुताबिक आप विधायक के रिश्तेदार द्वारा इसी सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा की गयी थी और आदर्श नगर में अपना कार्यालय भी खोला था मगर पूर्व मेयर के पार्टी ज्वाइन करने के बाद यह घोषणा और कार्यलय धरा का धरा रह गया, वही अंदरूनी रूप से आप विधायक भी इस ज्वाइन से काफी नाखुश दिखाई दे रहे थे। सूत्रों का यह भी कहना है कि आप विधायक की नाखुशी के कई कारण धीरे-धीरे सामने आ रहे है, फिलहाल मुख्य दो कारण तो यह सामने आये है कि पूर्व मेयर की एंट्री ने उनके रिश्तेदार की चुनावी दावेदारी को चकना-चूर कर दिया और वही दूसरी तरफ पार्टी हाईकमान पूर्व मेयर पर नगर निगम चुनावों में दांव खेलकर उन्हें 2027 विधानसभा चुनावों में उतारने की योजना बना रही थी, मगर आप विधायक को यह योजना की जैसे ही भनक लगी उन्होंने पूर्व मेयर और उनकी पत्नी को चुनाव हराने के प्रयास किये और आखिरकार वह एक तीर से दो शिकार करने में सफल हुए। सूत्रों की माने तो 2027 चुनावों को लेकर आप पार्टी हाईकमान की तरफ से सर्वे करवाने शुरू कर दिए है, जिसके तहत उनके द्वारा आप पार्टी को छोड़ने वाले डॉक्टर को भी मनाने के प्रयास किये जा रहे है पर उनकी नाराज़गी थमने का नाम नहीं ले रही है और मौजूदा आप विधायक का ग्राफ काफी नीचे है इसलिए पार्टी द्वारा पूर्व मेयर पर दांव खेलने की योजना बनायीं जा रही थी, फिलहाल पूर्व मेयर की हार के बाद यह योजना भी लगभग ठप्प हो गयी है। वही वोटरों ने कांग्रेस और भाजपा के ज्यादा उम्मीदवारों को जिताकर यह साबित कर दिया है कि उनके वार्डों में आप पार्टी काफी कमज़ोर चल रही है और वोटरों ने ख़ास तौर पर पलटमारो को सिरे से नाकारा है, चाहे वह किसी पार्टी से भी सम्बन्ध रखता हो। धरना-प्रदर्शन कर रहे पूर्व कांग्रेसी विधायक को भी यह समझना होगा कि रस्सी वही से टूटती है जहाँ से वह कमज़ोर है इसलिए पूर्व विधायक को अपना ग्राफ बढ़ाने हेतु कड़ी मेहनत की जरुरत है। वही भाजपाई पूर्व कैबिनेट मंत्री का ग्राफ में काफी हद तक बढ़ोतरी होते हुए दिखाई दे रही है। वही आप पार्टी अपना मेयर भी बनाने जा रही है, फिलहाल मेयर पद के लिए चार-पांच पार्षद अपनी-अपनी दावेदारी पेश कर रहे है, जोकि कही ना कही बगावती सुरों को जगा सकता है। मेयर का चुनाव करने हेतु गठित कमेटी ने आपस में बैठकर सर्वसम्मति से मेयर बनाने का फैसला लिया, लेकिन अभी तक मेयर पद को लेकर किसी भी पार्षद के नाम पर सहमति नहीं बन पाई। इसका मुख्य कारण यह भी हो सकता है कि पार्टी द्वारा अगर किसी भी ऐसे पलटमार पार्षद को जालंधर का मेयर बनाया जाता है तो वह पंजाब विधानसभा चुनावों 2027 में अपनी कुर्सी समेत अपनी मूल पार्टी में जा सकता है। वही आने वाले दिनों में जालंधर का मेयर कोई भी पार्षद बने लेकिन उन्हें शहर की बिगड़ चुकी हालत को सुधारना होगा नहीं तो आगामी विधानसभा चुनावों में सत्ताधारी पार्टी का रास्ता काँटों भरा होगा। (क्रमश:)
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01/01/2025