जालंधर (मुकुल घई/प्रेम) : केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर पिछले साल 28 नवंबर से चल रहे किसान आंदोलन को कल यानी शुक्रवार को (26 मार्च) को 120 दिन पूरे हो जायेंगे। दिल्ली-एनसीआर के बॉर्डर (शाहजहांपर, टीकरी, सिंघु और गाजीपुर) धरने पर बैठे किसान संगठनों ने आंदोलन को 4 महीने पूरे होने पर 26 मार्च को भारत बंद की घोषणा की थी। इस दौरान जालंधर में सामान्य जन-जीवन प्रभावित रहा।राष्ट्रीय राजमार्गों पर चक्काजाम करने से यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ है। लेकिन इस दौरान पंजाब के किसी भी शहर में से किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली है। इसके अलावा विरोध और चक्काजाम के चलते मेडिकल सेवाओं को प्रभावित नहीं होने दिया गया। जालंधर के P.A.P चौक में किसान जथेबंदियों द्वारा जमकर धरना-प्रदर्शन किया गया । इस दौरान न्यूज़ लिंकर्स के साथ बातचीत दौरान किसान जाथेबंदियों के नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार का निरंतर विरोध जारी रहेगा। अगर किसान विरोधी काले कानून नहीं रद्द हुए तो केंद्र सरकार के विरुद्ध संघर्ष ओर तेज़ कर दिया जायेगा। जालंधर बस स्टैंड भी सुनसान रहा। बस सर्विस बिलकुल ठप्प नज़र आयी। बता दे कि आज सुबह जालंधर के सभी बैंक खुले थे मगर दोपहर में किसान दलों द्वारा सभी बैंक बंद करवाए गए।इस दौरान जालंधर के सभी बाजार भी बंद रहे। जालंधर में सिर्फ जरुरी सेवाओं की दुकाने ही खुली रही। इस तरह आज देखा गया कि भारत बंद को जालंधर में भारी समर्थन मिला।
[highlight color=”red”]पटियाला में आज मुकम्मल बंद देखने को मिला[/highlight]
पटियाला/जालंधर (असीम मिश्रा) : केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर पिछले साल 28 नवंबर से चल रहे किसान आंदोलन को कल यानी शुक्रवार को (26 मार्च) को 120 दिन पूरे हो जायेंगे। दिल्ली-एनसीआर के बॉर्डर (शाहजहांपर, टीकरी, सिंघु और गाजीपुर) धरने पर बैठे किसान संगठनों ने आंदोलन को 4 महीने पूरे होने पर 26 मार्च को भारत बंद की घोषणा की थी। इस दौरान पटियाला में आज मुकम्मल बंद देखने को मिला। बता दे कि व्यापारियों ने किसानों का समर्थन करते हुए अपने आप ही बाजार बंद कर दिए थे । बताते चले कि पंजाबी यूनिवर्सिटी के स्टाफ ने भी बंद का समर्थन करते हुए सुबह ही गेट बंद कर दिया। शहर में आज न दूध की सप्लाई हुई न ही सब्ज़ी मंडी खुली। केंद्र सरकारी द्वारा नए कृषि कानूनों के विरोध में लोगों ने स्वयं ही बंद को भारी समर्थन दिया। पटियाला के बाजार दिन भर सुनसान रहे और सरकारी दफ्तरों में भी भीड़ पहले से कहीं ज़्यादा कम थी।बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन भी सुनसान ही दिखाई दे रहे थे। पटियाला में बंद के दौरान जगह-जगह पर प्रदर्शन भी किए गए।