जालंधर (हितेश सूरी) : डीसी दफ्तरों में चल रही हड़ताल का आलम यह है कि हड़ताल के नाम पर बाबू तो सारे रैस्ट फरमा रहे है और उनके प्राइवेट करिंदे उनका काम हर दफ्तर में बखूबी से निभा रहे है। सोशल मीडिया से प्राप्त समाचार के अनुसार बाबू अपनी मांगों के लिए एक हफ्ते तक भी हड़ताल पर जा सकते है। बता दे कि यह बाबू एक हफ्ते की बजाये एक महीने की भी हड़ताल पर चले जाएँ तो इनके ‘धंधे’ को कोई आंच नहीं आने वाली क्योकि बरसो से ही सिस्टम ऑनलाइन होने के बाद से ही पढ़े -लिखे बेरोज़गार युवक इन बाबुओं का ‘काम-धंधा’ निपटाने में जुटे हुए है। ‘ऐसे में इस हड़ताल का असर सिर्फ तो सिर्फ पहले से लॉकडाउन और कर्फ्यू से जूझ रही आम जनता को ही हो रहा है। जबकि सरकारी दफ्तरों का जरुरी काम इन बाबुओं के प्राइवेट करिंदे बखूबी से निभा रहे है।’
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