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पंजाब सरकार का शैक्षिक सेशन से कुछ दिन पहले किताबें बदलने का फैसला नियमों के विरुद्ध और आर्थिक नुकसान वाला : हरपाल सिंह चीमा

चंडीगढ़/जालंधर (धीरज अरोड़ा) : आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने पंजाब सरकार के शैक्षिक सेशन साल 2021-22 के लिए स्कूल की 35 के कऱीब कि़ताबें बदलने के फैसले की सख़्त अलोचना की और कहा कि यह फैसला नियमों के विरुद्ध है और इसके कारण किताब विक्रेताओं और एजेंसियों को काफी आर्थिक नुकसान होगा। श्री चीमा ने कहा कि उनके ध्यान में आया है कि पंजाब के शिक्षा विभाग ने पिछले दिनों शैक्षिक नियमों का उल्लंघन कर कई फैसले किए हैं, जिससे किताबें बेच कर परिवार का पालन करने वालों को काफी नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग ने शुरू हुए नए शैक्षिक सेशन (1 अप्रैल 2021) से सिर्फ 15 दिनों पहले विभिन्न कक्षाओं की करीब 35 कि़ताबें बदलने का तानाशाही फ़ैसला किया है। इस तानाशाही फैसले के कारण किताब एजेंसियों के मालिक और कि़ताब बेचने वालों को लाखों रुपए का नुक्सान हो गया है। सरकार के इस फैसले से शिक्षा विभाग के सिलेबस के आधार पर तैयार की गई सभी पुरानी किताबें अब विक्रेताओं और शिक्षा बोर्ड के डिपूओं में पड़ीं अब बेकार हो गई हैं। जिससे पंजाब के लोगों के करोड़ों रुपए बर्बाद हो गए है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार इस तानाशाही फैसले को तुरंत वापस ले। श्री चीमा ने पंजाब सरकार की अलोचना करते हुए कहा कि सरकार ने किताबों से सम्बन्धित कोई सही नीति ही लागू नहीं की। शिक्षा विभाग जब चाहे कि़ताबें बदल देता है, जब चाहे किताबों की कीमतों में वृद्धि कर देता है। जब कि यह फैसले नये शैक्षिक सेशन के आरंभ से कई महीने पहले होने चाहिए, जिससे किताबों पर खर्च किए पैसों की बर्बादी न हो। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण स्कूल बंद रहे और विद्यार्थियों की संख्या में कमी आई है, जिससे किताब विक्रेताओं के कारोबार पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है। परन्तु शिक्षा विभाग किताब विक्रेताओं से हर साल एजेंसी रीन्यू करवाने के लिए 1000 रुपए फीस के तौर पर ले रहा है, जिससे उन पर और आर्थिक बोझ पड़ रहा है। श्री चीमा ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से अपील की कि वे किताबें बदलने के फैसले पर तुरंत रोक लगाएं और किताब विक्रेताओं की समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान करें।

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