जिंदगी की जंग लड़ रहे सहायक जेल अधीक्षक की CM पंजाब को गुहार , कहा ‘मरने के बाद मिलने वाला पैसा अभी मिला तो बच्चे नहीं होंगे अनाथ’
जालंधर/चंडीगढ़ (न्यूज़ लिंकर्स ब्यूरों) : केंद्रीय जेल लुधियाना में बतौर सहायक अधीक्षक तैनात हरजिंदर सिंह इस समय एसपीएस अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं। कोरोना संक्रमण के चलते उनके दोनों फेफड़े खराब हो चुके हैं, ऐसे में इलाज कर रहे चिकित्सकों का कहना है कि उन्हें फेफड़े ट्रांसप्लांट करवाना होगा। इस पर लगभग 80 लाख रुपये खर्च होंगे। हरजिंदर सिंह का केस पुलिस कमिश्नर लुधियाना ने डॉक्टर के पैनल के पास भेजा लेकिन जवाब मिला कि एक माह का इंतजार करें। आखिरकार पीड़ित हरजिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री के नाम पर एक पत्र भेजा, इसमें उन्होंने कहा कि जो पैसा परिवार को मेरे मरने के बाद मिलेगा, अगर वहीं पैसा इस समय मिल जाए तो उसके बच्चे अनाथ होने से बच सकते हैं। इस जंग में हरजिंदर सिंह का साथ देने गई पूर्व पुलिस अधिकारी भी उतर आए हैं। मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में पीड़ित ने लिखा है कि वे कोविड-19 पॉजिटिव आने के बाद छह अप्रैल से लुधियाना के एसपीएस अस्पताल में भर्ती हुए थे। 22 अप्रैल को उनकी कोरोना रिपोर्ट नेगटिव आ गई थी लेकिन अभी तक उनके फेफड़े सही तरीके से काम नहीं कर रहे हैं। चिकित्सकों का कहना है कि उन्हें फेफड़े ट्रांसप्लांट करवाने की जरूरत है। इसमें करीब 80 लाख का खर्चा आएगा। इसलिए निवेदन है कि जो पैसे मरने के बाद परिवार को सरकार देगी। वहीं पैसे उनके इलाज में खर्च किए जाए।
पांच साल से भूख हड़ताल पर बैठे व्यक्ति पर सरकार खर्च कर चुकी है करोड़ों
सेवानिवृत एडीसीपी सतीश मल्होत्रा ने सरकार और अधिकारियों को इस मामले पर ध्यान देने को कहा है। मल्होत्रा ने कहा कि वह बड़े हैरान है कि एक व्यक्ति बीते पांच साल से भूख हड़ताल पर डीएमसी में भर्ती है। उनके इलाज का सारा खर्च पंजाब सरकार उठा रही है, अभी तक करोड़ों रुपये खर्च कर चुकी है। जबकि सरकारी ड्यूटी के दौरान एक पुलिस अफसर कोरोना की चपेट में आ गया, उसके इलाज के लिए सरकार को पैसा खर्च करना चाहिए। सरकार को फेफड़े ट्रांसप्लाट कराने में आर्थिक मदद तुरंत देना चाहिए ताकि पंजाब पुलिस के एक होनहार अधिकारी को बचाया जा सके।