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कोरोना का दंश भुगत रहे वरिष्ठ पत्रकार अश्विनी खुराना ने खोली प्रशासन की पोल, कहा कागजों में ही रह गई DC साब की तालमेल कमेटी

जालंधर (हितेश सूरी): कोरोना संक्रमण का दंश भुगत रहे व अभी भी उपचाराधीन वरिष्ठ पत्रकार अश्विनी खुराना ने अत्यंत बेबाक शब्दों में जालंधर के DC द्वारा कुछ दिन पूर्व जालंधर के पत्रकारो की एक संस्था के प्रधान व पदाधिकारियो के साथ एक बैठक में 3 बड़े प्रशासनिक अधिकारियो पर आधारित तालमेल कमेटी के गठन के दावो की पोल खोली है l श्री खुराना ने कहा की फ्रंटलाईन पर काम कर रहे पत्रकारो को सुविधा मिलनी तो दूर आज तक तालमेल कमेटी के किसी अधिकारी द्वारा फील्ड में काम करने के दौरान कोरोना से संक्रमित हुए किसी पत्रकार का हाल तक पूछने की जहमत तक भी नहीं उठाई गई l सोशल मीडीया पर डाली एक पोस्ट में श्री खुराना ने प्रशासन के दावो को कागजी बताते हुए जो पोस्ट डाली गई है वो नीचे प्रस्तुत है l
पिछले दिनों कोरोना संक्रमण कारण मुझे निजी अस्पताल दाखिल होना पड़ा जहाँ काफ़ी दिन उपचार के दौरान हालत ख़राब रही , उन्ही दिनों में शहर के कई और पत्रकार भी अस्पतालों में उपचाराधीन रहे , हालात की चिंता को समझ 300 के क़रीब पत्रकारों के संगठन के प्रधान Surinder Paul ने आज से 5/6 दिन पहले 6/7 नामचीन पत्रकारों संग डिप्टी कमिशनर घनश्याम थोरी से मुलाक़ात की । जिस दौरान DC साब को याद दिलाया गया कि पत्रकार भी फ़ील्ड में उतरकर कोरोना विरुद्ध जंग लड़ रहे हैं , उनका कभी हालचाल ही जान लिया करो ।DC साब ने तुरंत पत्रकारों पर एहसान करते हुए 3 बड़े अफ़सरों पर आधारित एक कमेटी बना दी जो पत्रकारों के उपचार इत्यादि में तालमेल करेगी । प्रधान जी और बाक़ी साथीयों से बातचीत के बाद DC साब ने तुरंत ऐक्शन भी ले लिया । पर ..वो कमेटी काग़ज़ पर बनी थी , गत्ते की फ़ाइल में जाकर ख़त्म भी हो गई । मैं और बाक़ी पत्रकार अस्पतालों से छुट्टी करके अब घरों में उपचाराधीन हैं .. पर मजाल है जिला प्रशासन या कमेटी के किसी अफ़सर का फ़ोन तक आया हो (तालमेल तो बहुत दूर की बात है , हमने कोई सुविधा या आर्थिक सहायता भी नहीं चाही थी इसलिए उसका सवाल ही नहीं उठता )
DC साब .. आपके लेटरपैड पर बनी ये कमेटी आपको मुबारक , इसे अब कृपया भंग कर दो , हमें A4 शीट पर प्रिंट कोरोना योद्धा का सर्टिफ़िकेट भी नहीं चाहिए । हमें अपने हाल पर छोड़ दो ।

एक बात अवश्य कहना चाहूँगा .. शहर के पूर्व DC Varinder sharma जी ने बाढ़ और कोरोना दौरान शहर /ज़िले के लिए जिस activeness से काम किया , शायद इसीलिए आज वो शहरियों को याद आ रहे हैं । आज वो जालंधर होते तो शायद पत्रकार बिरादरी को ऐसी नामोशी ना होतीl

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